
शेखावाटी की सनातन धर्म की धरोहर को संरक्षण दे सरकार – महेश बसावतिया
सीकर जिले की नीमकाथाना तहसील के तीस किलोमीटर के दायरे में स्थित सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर जो सरकारी संरक्षण व अनुदान के बिना अपनी आभा खो रही है । अरावली की पहाड़ियों में स्थित बालेश्वर धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां के इस मंदिर में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है ।
मंदिर के पुजारी के अनुसार उनके पूर्वजों ने 400 साल पहले खुदाई की थी करीब साढे तेरह फीट खुदाई करने के बाद भी छोर नहीं मिला तथा मधुमक्खियों के हमले के कारण इसको मंदिर का रूप दे दिया गया । इस मंदिर में एक शिलालेख है । जिसमें शिव मंदिर को लेकर लेख लिखा गया है । लेकिन उसकी भाषा अन सुलझी होने के कारण उसको पढ़ा नहीं जा सका । यदि पुरातत्व विभाग इस और ध्यान दें तो बहुत से ऐतिहासिक तथ्य मिल सकते हैं । मंदिर प्रांगण में एक गूलर का पेड़ है जहां से लोग पानी लेकर नहाते हैं । यह पानी कहां से और कब से आ रहा है कोई नहीं जानता ।
इसी कड़ी में स्थित गणेश्वर धाम तीन कारणों से प्रसिद्ध है । पहला प्राकृतिक झरने के लिए, दूसरा इस स्थान का धार्मिक महत्व व तीसरा ताम्रयुगीण संस्कृति । माना जाता है कि यह स्थान गालव ऋषि की तपस्थली थी । यहां एक झरने से गर्म पानी बहता है धार्मिक मान्यता है कि इसमें स्नान करने से शरीर के सारे रोगो से मुक्ति मिल जाती है । इसी स्थान का नाम गणों के ईश्वर शिव के नाम पर ही गणेश्वर पड़ा ।
अरावली पर्वतमाला की सुरम्य घाटियों में स्थित टपकेश्वर महादेव धाम है जहां एक गुफा में शिवलिंग स्थापित है । वर्षा ऋतु में गुफा की सभी चट्टानों से पानी टपकता है उसी जल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है । पानी के टपकाने के कारण ही इसे टपकेश्वर महादेव कहा जाता है । इतिहासकारों के अनुसार तोमर राजा अचलेश्वर यहां राज करते थे । इस गुफा में स्थित शिवलिंग की पूजा-अर्चना सबसे पहले इन्होंने ही की थी । राजा अचल देवी भक्त भी थे । गुफा से कुछ दूरी पर देवी का मंदिर भी बना है । बताते हैं किसी समय मुस्लिम आक्रांताओं के समय देवी की प्रतिमा को तोडा गया और किले को ध्वस्त कर दिया गया जिसके अवशेष आज भी बाकी है । सनातन धर्म के पोषक, साधु संतों का सम्मान करने वाले भाजपा नेता महेश बसावतिया ने बताया कि शेखावाटी की धरा धार्मिक परम्पराओं से भरी हुई है । अरावली की गोद में तो बहुत से धार्मिक स्थल है जो सरकार की अनदेखी के कारण अपनी पहचान खोते जा रहे हैं । उन्होंने सरकार से मांग की है कि उपरोक्त तीनों धार्मिक स्थलों को सरकारी संरक्षण में लेकर धार्मिक व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए ।
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