
Shekhawati News शेखावाटी न्यूज शेखावाटी से जुड़ी हर खबर सबसे पहले, सबसे सटीक!
शेखावाटी उत्तर-पूर्वी राजस्थान का एक अर्ध-शुष्क ऐतिहासिक क्षेत्र है। राजस्थान के वर्तमान सीकर, चूरु और झुंझुनू जिले शेखावाटी के नाम से जाने जाते हैं इस क्षेत्र पर आजादी से पहले शेखावत क्षत्रियों का शासन होने के कारण इस क्षेत्र का नाम शेखावाटी प्रचलन में आया। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर-शाहपुरा, गोङियावास खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ लामिया, सूरजगढ़, नवलगढ, मंडावा, बलोदा(पिलानी), मुकन्दगढ़, दांता, खुड, कंकङेऊ कलां,खाचरियाबास, अलसीसर,मलसीसर लक्ष्मणगढ,बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी क्षेत्र पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र में तेजी से उभर रहा है। यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र है। वही नवलगढ़, फतेहपुर, गंगियासर, अलसीसर, मलसीसर लक्ष्मणगढ, बलोदा, मंडावा आदि जगहों पर बनी प्राचीन बड़ी-बड़ी हवेलियाँ अपनी विशालता और भित्ति चित्रकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जिन्हें देखने देशी-विदेशी पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। पहाडों में सुरम्य जगहों पर बने जीण माता|जीण माता मंदिर, शाकम्बरीदेवी का मन्दिर, लोहार्ल्गल के अलावा खाटू में बाबा खाटूश्यामजी का (बर्बरीक का मन्दिर), सालासर में हनुमान जी का मन्दिर, कंकङेऊ कलां में बाबा माननाथ की मेङी आदि स्थान धार्मिक आस्था के ऐसे केंद्र है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। इस शेखावाटी प्रदेश ने जहाँ देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले देशप्रेमी दिए वहीँ उद्योगों व व्यापार को बढ़ाने वाले सैकडो उद्योगपति व व्यापारी दिए जिन्होंने अपने उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला झुंझुनू जिला शेखावाटी का ही भाग है।
इसका शेखावटी नाम यहाँ के शासक ‘राव शेखा’ के नाम से रखा गया है। शेखावटी का मतलब है- ‘शेखा का बगीचा’ । शेखावाटी राजस्थान के सीकर, झुन्झुनू, और चूरू ज़िलों को मिलाकर बना है। यहाँ पहाड़ी क्षेत्र (सीकर ज़िले का अधिकतर भाग), मरुस्थलीय भाग (चूरू ज़िला), मैदानी भाग (झुन्झुनु ज़िला) तीनों ही मिल जाते हैं। इस प्रदेश के गाँव अपनी बेहतरीन रंगी हुई हवेलियों के लिये जाने जाते हैं। यह हवेलियाँ इतनी भिन्न तथा वास्तुकला में समृद्ध हैं कि इस प्रदेश को “राजस्थान की ओपन आर्ट गैलरी” कहा जाता है।
इतिहास
‘शेखावाटी’ राजस्थान के जयपुर ज़िले का वह भाग है, जिसमें सीकर का ठिकाना सम्मिलित है। कहा जाता है कि इस इलाके को सरदार राव शेखा जी ने बसाया था, जिनके नाम से ही शेखावाटी प्रसिद्ध हुआ।
इस ऐतिहासिक प्रदेश पर देश की आज़ादी से पूर्व शेखावत क्षत्रियों का शासन काफ़ी समय तक रहा। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर, शाहपुरा, खंडेला, सीकर ल खेतड़ी, बिसाऊ, सुरजगढ़, नवलगढ़, मुकन्दगढ़, दांता, खाचरियाबास, अलसीसर, लक्ष्मणगढ़, बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर बड़ी तेज़ी से उभरा है। यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ़ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र भी हैं।
शेखावाटी में रंग-बिरंगी हवेलियों का समूह कलात्मक परम्परा में अदभुत लगता है। यहाँ की ज्यादातर इमारतें अठारहवी शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी के आरंभ तक की है। शेखावटी प्रदेश में इतनी सारी हवेलीयाँ हैं की इनमें से गुजरना मानो किसी ख़ज़ाने की खोज लेने जैसा लगता है। इनकी दीवारों तथा छतों पर महीन कला के विभिन्न प्रकार हैं, जो इन इमारतों को बाकी समतल तथा विरान भूमि से आगे अलग बना देते है। इन हवेलियों में पुराण कालीन चित्र तथा बड़े प्राणियों की आकृतियाँ बनायी गई हैं। बाद में बने कुछ चित्रों पर भाप के इंजन तथा रेलगाडीयाँ हैं, जो ब्रिटिशों की छाप दिखती है।
राजस्थान के सीकर, झुंझुनू तथा चूरू को मिलाकर शेखावाटी का नाम दिया गया है।
शेखावाटी के लिखित अलिखित इतिहास के जानकारों के मुताबिक पन्द्रहवीं शताब्दी (1443) से अठारहवीं शताब्दी के मध्य यानी 1750 तक शेखावाटी इलाके में शेखावत राजपूतों का आधिपत्य था। तब इनका साम्राज्य सीकरवाटी और झुंझनूवाटी तक था। शेखावत राजपूतों के आधिपत्य वाला इलाका शेखावाटी कहलाया, लेकिन भाषा-बोली, रहन-सहन, खान-पान, वेष भूषा और सामाजिकसांस्कृतिक तौर-तरीकों में एकरूपता होने के नाते चुरू जिला भी शेखावटी का हिस्सा माना जाने लगा। इतिहासकार सुरजन सिंह शेखावत की किताब ‘नवलगढ़ का संक्षिप्त इतिहास’ की भूमिका में लिखा है कि राजपूत राव शेखा ने 1433 से 1488 तक यहां शासन किया।
इसी किताब में एक जगह लिखा है कि उदयपुरवाटी (शेखावाटी) के शाषक ठाकुर टोडरमल ने अपने किसी एक पुत्र को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने के स्थान पर भाई बंट प्रथा लागू कर दी।
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